भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित सामाजिक मूल्य: एक अध्ययन
सार
प्रस्तुत शोध पत्र भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित सामाजिक मूल्यों का विश्लेषणात्मक अध्ययन कर उनके वर्तमान परिप्रेक्ष्य में महत्व को प्रकाशित करता है। जैसा हम सभी जानते हैं कि भारतीय ज्ञान परंपरा विश्व की प्राचीनतम और सशक्त, समृद्ध परंपराओं में सर्वोपरि है जिसमें वेदों, उपनिषदों, पुराणों, स्मृतियों, महाकाव्यों जिसमें रामायण, महाभारत आदि के साथ सभी दर्शनशास्त्रों के द्वारा मानव जीवन को यथोचित पोषित एवं संवर्धन करती आई है। वर्णित परंपरा आध्यात्मिक अथवा दार्शनिक दृष्टिकोण के साथ साथ सामाजिक एवं मानवीय मूल्यों के संचालन हेतु अत्यंत आवश्यक हैं। आधुनिक समय में जब समाज आधुनिक भौतिकता की ओर अग्रसर है तब भारतीय सामाजिक मूल्यों की आवश्यकता एवं महत्ता अत्यधिक बढ़ी है। निष्कर्ष स्वरूप यह पाया गया कि भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित सामाजिक मूल्यों द्वारा वर्तमान पीढ़ी एवं शिक्षा प्रणाली में सार्थक रूप से प्रभावी है तथा युवा पीढ़ी के नैतिक उत्थान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण एवं आवश्यक है। प्रस्तुत शोध अध्ययन में पाया गया कि भारतीय ज्ञान परंपरा के सामाजिक मूल्यों को शिक्षा प्रणाली और संस्कृति में पुनर्स्थापित किया जाना आवश्यक है।जिसके द्वारा वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों में नैतिक मूल्यों एवं पारंपरिक सामाजिक सांस्कृतिक मूल्यों का संवर्धन हो सके। निष्कर्ष स्वरूप प्राप्त होता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित सामाजिक मूल्य वैश्विक स्तर पर नितांत आवश्यक एवं उपयोगी है। प्रस्तुत शोध अध्ययन का निष्कर्ष उल्लिखित सामाजिक मूल्यों को पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता को इंगित करता है। शोध अध्ययन के निष्कर्ष स्वरूप प्राप्त होता है कि भारतीय ज्ञान परंपरा में निहित सामाजिक मूल्य का महत्व और उपयोगिताएं केवल पुरातन काल के समय तक सीमित न होकर सभी काल में मनुष्य के सभ्यता और संस्कृति के उत्थान हेतु महत्वपूर्ण है। सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्य आधुनिक काल में भी उतने ही आवश्यक एवं उपयोगी हैं। इन मूल्यों के आत्मसात के द्वारा भावी पीढ़ी और चरित्र को उन्नत और सुदृढ़ बना सकती है जिसकी आज सर्वोच्च आवश्यकता है।
बीज शब्द: सामाजिक मूल्य, दार्शनिक, नैतिक, उन्नयन, भारतीय ज्ञान परंपरा।
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