राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में शिक्षक शिक्षा का विश्लेषणात्मक अध्ययन

लेखक

  • अनिल कुमार खण्डेलवाल शोधार्थी, R.R.B.M.U. अलवर (राजस्थान) सहायक आचार्य, आर्य महिला शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय, अलवर राज ##default.groups.name.author##

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राष्ट्रीय शिक्षा नीति##common.commaListSeparator## मानव##common.commaListSeparator## समाज व राष्ट्र##common.commaListSeparator## शिक्षक शिक्षा

सार

शिक्षा मानव की पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने, समाज व राष्ट्र के विकास को बढ़ावा देने के लिए एक मूलभूत आवश्यकता  है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना भारत की सतत प्रगति और आर्थिक विकास की कुंजी है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लाया गया है। यह शिक्षा नीति 21वीं शताब्दी की पहली शिक्षा नीति है। जिसका लक्ष्य देश  के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओ को पूरा करना है। यह शिक्षा नीति प्रत्येक व्यक्ति में निहित रचनात्मक क्षमताओं के विकास पर विशेष बल देती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 प्राचीन भारतीय दर्षन, ज्ञान की समूह परम्परा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गयी है। किसी भी देश के विद्यार्थियों का भविष्य उसके शिक्षकों की गुणवत्ता पर निर्भर करता है, इस तथ्य को मनोवैज्ञानिक एवं सैद्धांतिक समर्थन प्राप्त है। परंतु यह भी एक तथ्य है कि भारत में शिक्षा व्यवस्था एवं शिक्षकों की योग्यता पर लगातार प्रश्न चिन्ह लगते रहे हैं। वर्तमान समय में आधुनिक शिक्षा में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षक शिक्षा का उद्देश्य शिक्षक शिक्षा की प्रणाली को बहुविषयक महाविद्यालय और विश्वविद्यालय से जोड़कर 4 वर्षीय एकीकृत स्नातक डिग्री को स्कूली शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता स्थापित करके यह सुनिश्चित करना है कि शिक्षकों को अपने विषय, शिक्षण शास्त्र और शिक्षण अभ्यास में गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त हो सके। इसके लिए एक प्रभावकारी रणनीति के तहत शिक्षक शिक्षा पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है।

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प्रकाशित

2024-09-09