वैदिक काल में पर्यावरण संरक्षण

Authors

  • डॉ0 आर0सी0 भट्ट असिस्टेंट प्रोफेसर, भूगोल विभाग, डॉ0 शिवानन्द नौटियाल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग, (चमोली) Author

Abstract

वैदिक परम्परा में पर्यावरण संरक्षण एक व्यापक विषय है, जिसमें वेदों उपनिषदों और अन्य प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण के विचार शामिल हैं। पारंपारिक ज्ञान पर्यावरणीय चेतना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह समुदाय के सामाजिक और भौतिक वातावरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।। वैदिक साहित्य में प्रकृति को देवी-देवताओं के रुप में देखा जाता है और उसे सम्मान और सुरक्षा प्रदान की जाती है। पृथ्वी और उसके संशाधनों  को पवित्र प्राणियों के रुप में माना जाता है, और उसका दोहन या नुकसान को पाप माना जाता है। हिन्दू धर्मो में वेदों उपनिषदों और अन्य प्राचीन ग्रन्थों में पेड पौधों और वन्य जीवन को बहुत महत्व प्रदान किया गया है, और मनुष्य जीवन के लिए भी उनका मूल्य बताये गये हैं। प्राचीन वेदों में पर्यावरण संरक्षण पारिस्थितिक संतुलन मौसम चक्र, वर्षा घटना, जल विज्ञान चक्र और संबन्धित विषयों के कई सन्दर्भ देखने को मिलते है। प्राचीन काल में ऋषि मुनियों ने हमारे चार वेदों में पर्यावरण संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण स्थान दिया है, जिस कारण आज तक हमारे पर्यावरण में स्थिरता है। वैदिक परम्परा में पर्यावरण संरक्षण प्रकति के प्रति सम्मान, संतुलन और सह-अस्तित्व के विचारों पर आधारित है। यह शिक्षा चेतना, और आवश्यक गुणों के महत्व को भी दर्शाता है। वैदिक ग्रन्थों में, मानव को प्रकृति के साथ समांजस्य स्थापित करने और उसकी रक्षा करने के लिए प्रेरित किया गया है।

बीज शब्द: वैदिक परम्परा, पर्यावरण संरक्षण, वैदिक ग्रन्थ, पारंपारिक ज्ञान ।

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Published

2025-03-05

How to Cite

वैदिक काल में पर्यावरण संरक्षण. (2025). Naveen International Journal of Multidisciplinary Sciences (NIJMS), 1(4), 39-43. https://nijms.com/index.php/nijms/article/view/61