तुलसीदास जी के साहित्य में भारतीय ज्ञान परंपरा

Authors

  • डॉo निधि छाबड़ा असिस्टेंट प्रोफेसर, हिन्दी विभाग, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय अगस्त्यमुनि (रुद्रप्रयाग) Author

Abstract

तुलसीदास जी भारतीय साहित्य के अनमोल रत्न हैं। उनके द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस ने जन-जन के मन को छुआ है। उनके साहित्य से भारतीय ज्ञान परंपरा और अधिक समृद्ध हुई है। भारतवर्ष में अनेक साहित्यकार हुए हैं, परंतु तुलसीदास जी द्वारा रचित साहित्य सामाजिक चेतना और भक्ति-भावना के साथ-साथ आम जनमानस को भी जोड़ता है। तुलसीदास जी को लोकनायक भी कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने अपने साहित्य के माध्यम से समाज में आपसी समन्वय और सद्भावना को बढ़ावा दिया तथा लोक कल्याण पर विशेष ध्यान दिया। उनके साहित्य की भाषा उस समय के आम-जनमानस की भाषा थी। तुलसीदास जी ने भगवान श्रीराम को अपने इष्ट देव के रूप में स्वीकार किया है। उन्होंने अपने साहित्य में श्रीराम को आदर्श मानव, आदर्श राजा, आदर्श पति, आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श वीर, आदर्श पिता के रूप में दर्शाकर भगवान श्रीराम के आदर्शों और गुणों का पालन करने के महत्व पर बल दिया है। तुलसीदास जी ने अपने साहित्य में भारतीय संस्कृति के सार्वभौमिक मूल्यों को समाहित किया है। निःसंदेह तुलसीदास जी का साहित्य हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए भक्ति, संस्कार, नैतिकता, सामाजिक चेतना, मानवीय मूल्यों का संरक्षण एवं संवर्धन करने में पूर्ण समर्थ है।

बीज शब्द: सामाजिक चेतना, लोकनायक, लोक कल्याण, सार्वभौमिक मूल्य।

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Published

2025-03-05

How to Cite

तुलसीदास जी के साहित्य में भारतीय ज्ञान परंपरा. (2025). Naveen International Journal of Multidisciplinary Sciences (NIJMS), 1(4), 33-38. https://nijms.com/index.php/nijms/article/view/60