भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक गणित की प्रासंगिकता

Authors

  • विभा राघव असिस्टेंट प्रोफेसर, संस्कृत, लक्ष्मण सिंह महर परिसर पिथौरागढ़ Author

Abstract

वैदिक गणित की मुख्य अवधारणा वैदिक ग्रंथों से प्राप्त प्राचीन तकनीकों का उपयोग करके जटिल गणितीय गणनाओं का सरलीकरण करना है । इन विधियों से गणित के प्रश्नों को हल करना आसन हो जाता है और समय भी अपेक्षा कृत कम लगता है, जिससे मानसिक अंकगणित और समस्या -समाधान कौशल में वृद्धि होती है । वैदिक गणित के रूप से प्रचलित गणना कौशल की प्राचीन भारतीय पद्धति 16 सूत्रों तथा उनके 13 उप-सूत्रों का प्रयोग करके बनाई गयी थी । वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं में छात्रों के लिए आवंटित समय में योग्यता प्रश्नों को कुशलतापूर्वक समाधान करना चुनौतीपूर्ण होता है । इस सन्दर्भ में “वैदिक गणित” समस्या के समाधान में गणना प्रक्रिया को गति देने में सर्वोत्तम है ।

वैदिक गणित की संक्रियाओं से सभी अंकगणितीय संक्रियाएँ प्रतियोगी परीक्षाओं के तर्क सम्बन्धी समस्याओं के भार को न केवल कम करती है, अपितु कम समय में अधिक समस्याओं को हल करने में सहायक सिद्ध होती है ।यह एकाग्रता और तार्किक सोच को उत्कृष्ट बनता है  सूत्रों के अनुप्रयोग समस्या सरलीकरण में गति और सटीकता सुनिश्चित करता है और कम्प्युटेशनल कौशल को बढ़ाता है । वैदिक गणित के अनुप्रयोग पूर्णतया तर्कसंगत और तार्किक तर्क पर आधारित है ।

मुख्य शब्द: वैदिक गणित, मानसिक गणना, गणितीय परंपरा, पूरक ।

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Published

2025-03-05

How to Cite

भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक गणित की प्रासंगिकता. (2025). Naveen International Journal of Multidisciplinary Sciences (NIJMS), 1(4), 19-24. https://nijms.com/index.php/nijms/article/view/58