प्राचीन भारत में इतिहास लेखन की अवधारणा
Abstract
प्राचीन भारत में इतिहास लेखन की अवधारणा एक जटिल और बहुआयामी विषय है जिसे पश्चिमी इतिहास लेखन की परंपरा से भिन्न दृष्टिकोण से समझना आवश्यक है। प्रस्तुत अध्ययन में वैदिक काल से गुप्त काल तक के इतिहास लेखन की विभिन्न धाराओं का विश्लेषण किया गया है। भारतीय इतिहास लेखन में इतिवृत्त, पुराण, चरित, आख्यान, और राजतरंगिणी जैसी विधाओं का विकास हुआ। कालिदास, बाणभट्ट, कल्हण जैसे लेखकों ने ऐतिहासिक चेतना का परिचय दिया। भारतीय इतिहास बोध में धर्म, कर्म, और युगचक्र की अवधारणाएं केंद्रीय हैं। यह अध्ययन इस मिथक को खंडित करता है कि प्राचीन भारत में इतिहास बोध का अभाव था। वास्तव में, भारतीय इतिहास लेखन की अपनी विशिष्ट पद्धति और दर्शन था जो धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक जीवन से गहरे रूप से जुड़ा था।
मुख्य शब्द: पर्यावरण संरक्षण, भारतीय दर्शन, पंचमहाभूत, वैदिक परंपरा, पारिस्थितिकी चेतना, अहिंसा ।
Downloads
Published
Issue
Section
License
Copyright (c) 2025 Naveen International Journal of Multidisciplinary Sciences (NIJMS)

This work is licensed under a Creative Commons Attribution-NonCommercial 4.0 International License.