योग शिक्षा का अतीत एवं भविष्य- एक विश्लेषणात्मक अध्ययन

Authors

  • डा0 कमलेश सिंह सहायक आचार्य, शिक्षक शिक्षा विभाग, बुन्देलखण्ड कालेज, झाँसी (उ0प्र0) Author

DOI:

https://doi.org/10.71126/nijms.v2i1.81

Abstract

भारतवर्ष में योग शिक्षा भारतीय संस्कृति की दैदीप्यमान अमूल्य धरोहर है, जिस पर हर आम भारतीय को गर्व है। योग शिक्षा मानव जीवन के सर्वांगीण विकास का पथ प्रशस्त करती है। योग शिक्षा अपने शुरूआती विकास काल में केवल कुछ चुनिंदा ऋषियों के आश्रमों एवं मठों तक ही सीमित थी। योग शिक्षा केवल शारीरिक व्यायाम न होकर मन, शरीर और आत्मा के संतुलन का सम्पूर्ण विज्ञान है। जहाँ योग शिक्षा अपने अतीत में केवल संन्यासियों के आश्रमों एवं मठों तक ही सीमित थी जो वर्तमान समय में वहाँ से निकलकर जन सामान्य तक पहुँच गई है। योग शिक्षा वैश्विक रूप धारण कर रही हैं। इसका भविष्य उज्जवल है क्योंकि आधुनिक युग में योग शिक्षा का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। योग शिक्षा आधुनिक जीवन के तनाव, रोग और असंतुलन से मुक्ति का अभिन्न माध्यम बन चुकी है। इस शोध पत्र में योग शिक्षा के अतीत (ऐतिहासिक काल), वर्तमान स्वरूप एवं भविष्य की संभावनाओं का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है।

मुख्य शब्द : योग शिक्षा, सर्वांगीण विकास, ज्ञानयोग, कर्मयोग, वृत्ति।

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Published

2025-09-30

How to Cite

योग शिक्षा का अतीत एवं भविष्य- एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. (2025). Naveen International Journal of Multidisciplinary Sciences (NIJMS), 2(1), 107-111. https://doi.org/10.71126/nijms.v2i1.81